वस्त्र आयुक्त कार्यालय की स्थापना वर्ष 1943 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की गई थी । इसकी स्थापना का उददेश्य सेनाओं एवं सिविलयन लोगों को वस्त्रों की आपूर्ति की व्यवस्था करना था । द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर वस्त्र आयुक्त कार्यालय को युद्ध पश्चात् अभावपूर्ण स्थितियों में सिविल खपत के लिए उपलब्ध वस्त्रों की विशिष्ट किस्मों की कीमतों पर नियंत्रण एवं इनके वितरण और नियंत्रण का विनियामक उत्तरदायित्व सौंपा गया था ।
यद्यपि, एक अंतराल से इस कार्यालय ने विकासात्मक भूमिका अपनाई है तथा बहुमुखी वस्त्र उद्योग के आधुनिकीकरण तथापि चौतरफा विकास में अपना योगदान दिया है । यह कार्यालय वस्त्रोद्योग के लिये लाभकर विभिन्न योजनाऍं तैयार तथा कार्यान्वित करता है। इस कार्यालय के तकनीकी एवं आर्थिकी स्कंध में व्यावसायिक अर्हता प्राप्त योग्य एवं अनुभवी अधिकारियों का दल नियुक्त है, जो कि इस कार्यालय का संगठनात्मक बल है । इसके अतिरिक्त इस कार्यालय की प्रमुख टेक्सटाइल क्लस्टरों में स्थित 8 क्षेत्रीय कार्यालय एवं 14 विद्युत करघा सेवा केन्द्रों के द्वारा व्यापक पहुंच है। क्षेत्रीय कार्यालय मुख्यालय के समन्वय से उद्योग जगत को विशेषकर उद्योग के विकेन्द्रित क्षेत्र को आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करता है, जिससे कि हमारा वस्त्र उद्योग वैश्विक अर्थ व्यवस्था की चुनौतियॉं को सफलतापूर्वक पूरा कर सके ।
यह कार्यालय अपना सक्रियात्मक एवं उद्योग कल्याणकारी भूमिका द्वारा वस्त्रोद्योग को सनशाइन उद्योग बनाने में सफल रहा है ।
Number Of Visitor |
डिस्क्लेमर :-
इस वेबसाइट पर प्रकाशित विषय वस्तु की कोई वैधानिकता नहीं है और यह केवल सामान्य संदर्भ के लिए है। इस वेबसाइट को देखने वाले व्यक्तियों से अपेक्षा की जाती है कि वे तथ्य सुनिश्चत करने के लिए संबंधित सरकारी विभागों द्वारा प्रकाशित सरकारी दस्तावेजों संदर्भ ले।